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गुरुवाणी-३
गुणानुराग चुन लिए गए। अमेरिका के प्रेसिडेन्ट बने । सत्तासीन होने पर, उन्होंने अपने विरोधी पक्ष में से नामांकित व्यक्तियों को चुन-चुनकर महत्वपूर्ण स्थानों पर नियुक्ति देने लगे। इससे स्वपक्ष के मनुष्यों में खलबली मच गई। उन्होंने लिंकन को कहा - आप यह क्या कर रहे हैं? विरोधियों का तो पत्ता साफ कर देना चाहिए, जिससे कि वे सिर उठा न सके। उसके स्थान पर आप उनको बड़े-बड़े अधिकार दे रहे है। लिंकन कहता है - मैं विरोधियों को समाप्त ही कर रहा हूँ। उनको योग्य मानकर बड़ी-बड़ी पदवी दे रहा हूँ। विरोधियों को नहीं, किन्तु विरोध को दूर करने के लिए यह कर रहा हूँ। शत्रु को नहीं, शत्रुता को दूर करना चाहिए, इससे शत्रुता अपने आप खत्म हो जायेगी। लिंकन में इतना प्रबल गुणानुराग था। इसीलिए विरोधियों में भी उनके गुण दृष्टिगोचर हुए। जिस स्थान के लिए जो योग्य हो, उसको वही स्थान देना चाहिए, उसमें पक्षपात नहीं करना चाहिए। आज तो इसके विपरीत दिखाई देता है। विरोधी समझकर अच्छे-अच्छे मनुष्यों को हटा दिया जाता है और खुदके पक्ष के भले ही मूर्ख हों, ऐसे मनुष्यों को भी अधिकार दे दिया जाता है। इसीलिए "लूटो भाई लूटो" इस वाक्य को जीवन में उतार कर लोकशाही के स्थान पर जनता पर काली स्याही डालने का ही काम कर रहे हैं और देश बरबादी को न्यौता दे रहे हैं।
___ गुणानुराग से सामान्य मनुष्य भी महान बनता है और दुर्गुणी मनुष्य भी साधु-सन्त जैसा बन सकता है। डाकू में से सन्त
कुछ साधु जंगल में चले जा रहे थे। जंगल बहुत लम्बा-चौड़ा था। अधिक लम्बा विहार नहीं कर सकते थे। आस-पास में तलाश करने पर उन्हें एक भील की पल्ली नजर आई। वहाँ गये, पल्लीपति के पास रहने के लिए स्थान की याचना की । पल्लीपति ने स्वयं के घर के पड़ोस में ही रहने के लिए स्थान दे दिया। साधुगण वहाँ उतरे। उनकी प्रत्येक प्रवृत्ति यतना और विवेक से युक्त होती थी। पल्लीपति बूंखार डाकू और लूटेरा था।