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________________ धर्म कैसा?:* अहिंसा युक्त धर्म * प्रमोद भावना * अब्राहम लिंकन * करुणा भावना * मध्यस्थ भावना संयम से युक्त * संयम के भेद * मन चंगा तो कठौती में गंगा * प्रसन्नचन्द्र राजर्षि * ज्ञानी गुरु और वृद्ध शिष्य वाणी का संयम: * धर्म: * धर्म उत्कृष्ट मंगल है * स्टीयरिंग पर काबू न रहे तो * २७ वर्ष तक एक ही पाठ काया का संयम * जीव हरण करने वाली लक्ष्मी काया का संयम: * समाधि कैसे मिले? कान का असंयम * रौहिणेय चोर अनुक्रमणिका १- ६ आवश्यकता का संयम:- ३०-३४ * मानव की पूंजी ४ * आवश्यकताओं को कम करो ४ * भीतर तो देखो ? ५ * विवाह अर्थात् प्रभुता में प्रयाण ६ ७-१२ * आँख का असंयम - इलाचीकुमार * रस्से पर ही केवलज्ञान * * अभयकुमार की निष्फलता धन नहीं धर्म का संग्रह करो: * भयंकर भूतकाल * पानी के पैसे * धन की जल समाधि - दो भाईयों का दृष्टान्त ८ ११ १३-१७ १३ १३ १४ ७ ७ १५ १५ १८- २३ * २४-२९ या पशुता में * सयाजीराव गायकवाड धर्म मित्र कैसा हो ? : * धर्म राजमार्ग है। * चार गति का वर्णन २४ २५ २६ * हमारा सदा का साथी * तीन मित्रों का रूपक अनमोल रत्न: * बंगले का सच्चा मालिक कौन? * प्राणप्रियमित्र शरीर * ४२ ४३ वार - र - त्यौहार का मित्र- स्वजनवर्ग ४३ माँ-बाप की ओर कैसी १८ निर्लज्जता ....! १८ * पहचान वाला मित्र - धर्म १९ * चिन्तामणिरत्न की शोध करने वाले २० युवक की कथा २१ * रत्न की परीक्षा २२ * ३० ३१ ३२ रत्न ३३ ३३ ३५-४१ - ३५ ३५ ३७ ३८ ४२-४७ * भगवान के साथ भी माया मानव जीवन की सार्थकता किसमें है?: * चिन्तामणिरत्नरूप धर्म ४८ * धन से धर्म खरीद सकते हैं क्या ? ४८ ४४ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८-५० को प्राप्त करने वाला युवक ४९
SR No.006131
Book TitleGuru Vani Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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