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धर्म मित्र कैसा हो?
आसोज वदि ८
धर्म राजमार्ग है
शास्त्रकार महाराज, जगत का कल्याण हो इसलिए धर्म का मङ्गलमय मार्ग बता रहे हैं। सुख और शान्ति के लिए यह एक ही मङ्गलमय मार्ग है। धर्म, यह कोई वृद्धों का मार्ग नहीं है अपितु यह छोटेबड़े सबके लिए है। किसी भी एक गाँव में जाना हो तो सबके लिए एक ही मार्ग होता है। क्या वृद्धों के जाने का मार्ग अलग होता है? क्या युवकों के जाने के लिए मार्ग अलग होता है? और क्या बालकों के लिए जाने का अलग मार्ग होता है? ऐसा कुछ नहीं होता है। युवकों और बालकों के लिए एक समान ही मार्ग होता है। इस मार्ग पर सब लोग जा सकते हैं किन्तु हम लोगों ने धर्म के मार्ग को इस समय सिर्फ वृद्धों के मार्ग के लिए ही सीमित कर रखा है। युवकों का तो इस धर्म से किसी प्रकार का सम्बन्ध ही नहीं रहा है। वे तो निश्चिन्त होकर स्वयं के व्यापार में खेल रहे हैं। महापुरुष उनको सावधान करते हैं कि हे भाई! जरा आँख खोलकर तुम देखो तो सही! तुम्हारे सामने किस प्रकार की गतियाँ मुँह खोलकर खड़ी है! चार गति का वर्णन
नरक की भयंकर यातनाएं सामने खड़ी है। योगशास्त्र' नाम के ग्रन्थ में आचार्य भगवन् श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज नरक का वर्णन करते हैं । सात नरक हैं। उसमें प्रारम्भ के तीन नरकों में भयंकर गर्मी है। वह गर्मी भी कैसी, वहाँ रहे हुए नरक के जीवों को कोई पृथ्वी पर लाकर चौबीस घण्टे सुलगती हुई भट्टी में डाल दे तो उसे छः महीने तक झपकी/ नींद आ जाए। ऐसी भीषण गर्मी वहाँ रहती है। अन्तिम तीन नरको में अतिशय ठण्डी रहती है। ठण्ड भी कैसी? वहाँ रहे हुए नरक के जीव को