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धर्म कैसा
गुरुवाणी-३ २. प्रमोद भावना
मैत्री भावना को पुष्ट करने वाली दूसरी भावना है प्रमोद भावनादुसरे का अच्छा देखकर प्रसन्न होना। जगत् में अधिक वर्ग ऐसा है जो स्वयं के दुःख से दु:खी नहीं है किन्तु दूसरे के सुख को देखकर दुःखी बनता है, यह भी हिंसा का ही एक प्रकार है। कहा जाता है - दूसरे की आँख में पानी, तो दुर्जन के मुँह में पानी, और दूसरे के मुँह में पानी तो दुर्जन की आँख में पानी, सजन मनुष्य का स्वरूप इससे विपरीत होता है। दुसरे की आँख में पानी तो स्वयं की आँख में पानी, और दुसरे में मुख में पानी तो स्वयं के मुख में पानी। सज्जन दूसरे के सुख को देखकर प्रसन्न होता है और दूसरे के दुःख को देखकर द्रवित हो उठता है एवं उसको दूर करने के लिए तत्पर होता है। अब्राहम लिंकन
___ अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन विक्टोरिया गाड़ी में बैठकर अदालत में जा रहे थे। मार्ग में उनकी दृष्टि एक गड्ढे में पड़े हुए सूअर पर गई। सूअर कीचड़ में डूब गया था और बाहर निकलने के लिए तड़फ रहा था किन्तु निकलने में असमर्थ था। अब्राहम लिंकन इस दृश्य को देखकर कांप उठे और उन्होंने तत्काल ही अपनी विक्टोरिया को रुकवाया। स्वयं नीचे उतरे, स्वयं ने ही कीचड़ में से सूअर को खेंचकर बाहर निकाला। लिंकन के साथ गाड़ीवान था, किन्तु उन्होंने उससे यह काम नहीं करवाया
और स्वयं ने किया। ऐसा करते हुए प्रेस बंद पहने हुए कपड़ों पर कीचड़ के छींटे लग गए। उन्हीं कपड़ों से वे अपने कार्यालय में गए। उनके कीचड़ से सने हुए कपड़ों को देखकर दूसरे लोग यकायक बोल उठे - यह क्या? आपके कपड़े ऐसे कैसे हो गए? क्या आपके साथ मार्ग में कोई घटना हुई है? क्या आपके ऊपर किसी ने कीचड़ उछाला है? आप जल्दी से कहिए हम उसकी खबर ले लेंगे। सब लोग एक साथ गुस्से में बोले। उसी समय लिंकन के साथ रहे हुए व्यक्ति ने कहा - भाईयों, शान्त हो