________________
विनय
कार्तिक वदि ५
विनय के अभाव में समाज की दुर्दशा
ज्ञानीपुरुष हमारा जन्म सार्थक कैसे हो इसके लिए समझा रहे हैं सभी जीव खाते हैं, पीते हैं, मौज-मस्ती करते हैं, तो इससे मानव - जन्म की सिद्धि नहीं होती । पदार्थों को प्राप्त करने का महत्व नहीं है, किन्तु परमात्मा को प्राप्त करना यह महत्व का है। धर्मार्थी कैसा हो यह बात चल रही है। उसमें भी हम विनय गुण पर विचार कर रहे हैं। वर्षा होती है, तब एक तरफ काली मिट्टी होती है और दूसरी तरफ पथरीली जमीन होती है। इन दोनों में कौनसी जमीन पानी का अधिक संग्रह करती है, और अत्यधिक अनाज पैदा करती है? काली मिट्टी वाली जमीन ही न! यह मिट्टी पानी का अनेक वर्षों तक संचय करके रखती है । काली मिट्टी वाली जमीन बहुत कीमती मानी जाती है। उसी प्रकार विनय यह काली मिट्टी के समान है । विनीत मनुष्य को कुछ भी कहा जाए तो वह जिस प्रकार काली मिट्टी पानी का संग्रह कर लेती है, उसी प्रकार विनीत भी उन बातों को ग्रहण कर हृदय में उतार लेता है। भगवान महावीर ने नयसार के भव में गुरु महाराज द्वारा कथित धर्म को हृदय में उतार लिया, किस कारण से? विनयी थे इसीलिए न ! अन्यथा मार्ग में चलते-चलते गुरु महाराज धर्म का स्वरूप समझा रहे थे, उस समय नयसार ने यह विचार किया होता कि यह सब सिरदर्द क्यों? ऐसा समझकर उस वाणी को सुना ही न हो तो क्या वह संसार समुद्र से पार हो सकता था ! यह तो मार्ग बताने गए और स्वयं ही मार्ग को प्राप्त करके आए ! जो मनुष्य विनीत नहीं होता उसको चाहे जितने भी शास्त्रों का श्रवण करवाया जाए अथवा उपदेश दिया जाए किन्तु वह उससे कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता । वस्तुतः कहने वाले को ही क्लेश मात्र होता है । आज इस गुण का अभाव