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महामन्त्र नवकार
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गुरुवाणी-३ सम्पत्ति विष है
नवकार तुम्हे सदा ही प्रसन्नता प्रदान करेगा। आज तो महंगाई इतनी बढ़ गई है और साथ ही मनुष्य की तृष्णा भी इतनी बलवती हो गई है कि घर के स्त्री-पुरुषों और सन्तानों आदि सभी को धंधे के लिए दौड़ना पड़ता है। मनुष्य नहीं किन्तु मानों यन्त्र काम कर रहे हों ऐसा प्रतीत होता है। मुख पर आभा देखने को ही नहीं मिलती है। जबकि यह मन्त्र तुम्हारे सब कामों को सरल बना देगा। तुम्हारे जीवन में सन्तोष आएगा साथ ही प्रसन्नता भी आयेंगी। जितनी अधिक सम्पत्ति होती है, वह जहर बन जाती है। कोई भी वस्तु की जब अति होती है, तब वह विष बन जाती है। Everything in eccess is poision. इसीलिए अति सर्वत्र वर्जयेत्। अति का सब स्थानों पर त्याग करना चाहिए। किन्तु मनुष्य को सम्पत्ति कभी भी अति नहीं लगती है। लड्डू शक्तिवर्द्धक माने जाते हैं किन्तु अधिकाधिक खाने पर क्या होता है? जीवन देता है या जीवन लेता है? शास्त्रकार कहते हैं कि तुम तुम्हारे वैभव पर जहर का लेबल लगा दो। उसका तुम उपयोग करोगे फिर भी उससे दूर रहोगे। जैसे डॉक्टरों के यहाँ जिस दवा की बोतल पर जहर लिखा हुआ होता है वह किसी को पीने के लिए देता है क्या? अरे, किसी को लगाता भी है तो तत्काल ही साबुन से हाथ धो लेता है। तुम्हारी अति सम्पत्ति भी विष के समान है। इस विष से तुम्हे नवकार ही बचा सकता है। इसमें शांति, संतोष, समता रूपी अमृत है, जो तुम्हे सुखी कर सकता है।
___ नवकार मन्त्र इस जन्म को तो सुधारता ही है साथ ही आँख बन्द होने पर भी इस मन्त्र के प्रभाव से तुम्हे सद्गति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं स्वर्ग में जाने के बाद भी वहाँ से उत्तम कुल में जन्म मिलता है। इस प्रकार तीन भवों की जिम्मेदारी लेता है। तुम्हारा यह लोक भी सुधारता है, तुम्हारा परलोक भी सुधारता है और भवान्तर भी सुधारता है। यदि