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दीर्घदृष्टि
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गुरुवाणी - ३ आई । पूजारी ने कहा- भाई ! क्या हुआ जो तुम इतने, अधिक क्यों रो रहे हो? मुझे कहो, कोई न कोई समाधान मिल जाएगा। पहले तो उस मनुष्य ने कहने में आनाकारी की। कुछ नहीं.... फिर पूजारी ने कहा - भाई ! इस राम की मैं वर्षों से पूजा कर रहा हूँ । तुम शायद आज ही दर्शन करने के लिए आए हो। ये भगवान ऐसे ही तुम्हारी प्रार्थना नहीं सुनेंगे। मुझे कहो, मेरी बात वे सुनेंगे। क्योंकि तुम्हारी अपेक्षा मेरे साथ उनके अधिक सम्बन्ध है। मैंने तुम्हारी अपेक्षा अधिक पूजा की है । उस मनुष्य को ऐसा लगा कि बात सच्ची है। मैं तो कभी-कभी ही भगवान को याद करता हूँ । यह पूजारी तो प्रतिदिन उनकी पूजा करता है। उस मनुष्य ने पूजारी से कहा - हे भाई! मेरी स्त्री कहीं खो गई है। वह मुझे जल्दी से मिल जाए इसीलिए मैं भगवान् से प्रार्थना करने आया हूँ। पूजारी ने कहा - मित्र ! तुम भूल गये हो। जो तुम्हें तुम्हारी स्त्री को ही प्राप्त करना है तो तुम हनुमान के पास जाओ.... क्योंकि राम की सीता जब खो गई थी तो हनुमान ने ही खोजकर सूचना दी थी। उस मनुष्य को लगा कि इसकी बात सच्ची है। वह गया हनुमान के मन्दिर में वहाँ हनुमान की मूर्ति पर बैठकर एक चूहा नाच रहा था। उसको लगा कि हनुमान की अपेक्षा तो यह चूहा बढ़कर है । चूहे को पकड़कर पिंजरे में डाल दिया और उसकी पूजा करने लगा। एक दिन बिल्ली ने उस चूहे को पकड़ लिया। उसको ऐसा लगा कि चूहे कि अपेक्षा भी बिल्ली अधिक बलशाली है अत: वह बिल्ली की पूजा करने लगा। एक दिन उसने देखा कि एक कुत्ता बिल्ली के पीछे दौड़ रहा है। उसको लगा की बिल्ली की अपेक्षा कुत्ता बढ़कर है। कुत्ते को घर लाया, उसको रोज स्नान कराता, तिलक इत्यादि लगता। संयोग से उसकी स्त्री घर आ गई। उस औरत को लगा की इनको कैसे समझाऊं । जिसको देखते हैं उसी ही की पूजा करने लग जाते हैं । उसको शिक्षा देने के लिए एक दिन उसके सामने ही उस कुत्ते को डंडा मारा । कुत्ता चीखता - चिल्लाता हुआ भागा। उन भाईसाहब को लगा कि अरे, कुत्ते की अपेक्षा