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________________ अन्धेरे में भटकता जगत गुरुवाणी-३ लिए संग्रहालय में जाना पड़ेगा। भारतीय जनता की प्रत्येक प्रवृत्ति में लाभ रहता था। धोती का पहनावा छोटे-बड़े सबके काम में आता था। एक का दूसरा पहन सकता था, किन्तु तुम्हारी यह मैक्सी-पंजाबी आदि कई प्रकार के कपड़े जिनके नाप के होते हैं उन्हीं के काम आते हैं। लॉर्ड कर्जन कट कैसा अन्धा अनुसरण है। उसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखिए। लॉर्ड कर्जन भारत में वायसराय बनकर आए थे। उनका एक तरफ का होंठ कटा हुआ था। इस कारण उस पर मूंछ नहीं आती थी, इसी कारण बीच के हिस्से में ही मूंछ रखते थे। दूसरी तरफ की कटवा देते थे। उससे दोनों तरफ का हिस्सा बराबर हो जाता था। उसका अनुकरण हमारे यहाँ के बेवकूफ लोगों ने करना चालू किया। बीच के हिस्से में ही मूंछ रखने लगे। किसी समझदार मनुष्य ने एक युवक से पूछा - इस प्रकार पूँछ क्यों कटवाते हो। युवक ने उत्तर दिया - यह तो कर्जन कट है। यह सुनकर उस समझदार मनुष्य ने कहा - अरे, उस लॉर्ड कर्जन का तो होंठ कटा हुआ था और एक तरफ की ही मूंछ आती थी दोनों तरफ बराबर रहे इसलिए इस प्रकार से मूंछ कटवाता था पर तुम ऐसा क्यों करते हो तो उसका उत्तर था - अरे! यह तो फैशन है। ऐसा (बिना विचारे) अन्धा अनुसरण करने वाली आज की दुनिया को क्या कहें। एक तरफ अनन्त अशान्ति को पैदा करने वाले पदार्थ हैं और दूसरी तरफ परमात्मा हैं। जिसने परमात्मा को पहचान लिया है उसके लिए तो सर्वप्रथम परलोक अर्थात् उसकी सद्गति निश्चित है, और पदार्थों के प्रति आसक्ति नहीं होने के कारण उसको प्राप्त करने के लिए अनेक प्रपंचों से मुक्ति मिलती है.... उससे जीवन में परम शान्ति होती है.... यह लोक भी शान्ति और प्रसन्नता से पूर्ण होता है और परलोक में भी सद्गति मिलने के कारण वहाँ भी परमशान्ति मिलती है। जिसने प्रभु को पहचान लिया है उसके मन की मस्ती अलौकिक होती है।
SR No.006131
Book TitleGuru Vani Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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