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गुरुवाणी-३
अन्धेरे में भटकता जगत है। एक व्यक्ति का शरीर इतना अधिक फूल गया था कि घर के दरवाजों से भी बाहर नहीं निकल सकता था। वह जब मर गया तो, उसे रस्से से बांध कर ही नीचे उतारा गया। क्यों? इसीलिए की वह दरवाजे में से निकल नहीं सकता था.... दिमाग को ठण्डा रखना था, उसके स्थान पर इतना गरम रखते हैं कि बात-बात में पुत्र बाप के सामने, बहू सास के सामने और भाई-भाई के साथ झगड़ा कर बैठते हैं । समता के अभाव में ही ऐसा होता है न!
मानव जन्म तो अनेकों को मिला है, किन्तु यह धर्म सबको नहीं मिला है। जिनको मिला है, वे भी उसके स्वरूप को समझने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी कारण यह सारा जगत कीचड़ से सड़ रहा है। भविष्य का विचार किए बिना ही मनुष्य बात-बात में आवेश के कारण खून भी कर बैठता है। दीर्घदर्शिता के अभाव में सुखमय जीवन को भी दुःखमय बना लेता है। करोड़ो रूपये का प्रोजेक्ट खड़ा करता है, और उसके बाद चिन्ताओं से घिरकर अस्पताल में भर्ती होता है अथवा कुत्सित कार्यों के कारण जेल जाने की तैयारी करता है। मानव जन्म केवल देह का पालनपोषण करने के लिए नहीं बल्कि आत्मा में जो अनन्त शक्ति भरी हुई है, उसे प्रकट करने के लिए है। पश्चिमी अनुकरण
___ मनुस्मृति के अन्त में लिखा हुआ है कि दूसरे देश के मनुष्य हमारे पास से 'किस प्रकार जीवन जीया जाए' ऐसी शिक्षा प्राप्त करेंगे, ऐसा हम लोगों का रहन-सहन होगा किन्तु आज इस देश के लोगों में सबसे बड़ा दुर्गुण यह लगा हुआ है कि वे पश्चिमी देश का तुरन्त ही अनुकरण करते हैं, खानेपीने में, पहनने-ओढ़ने में, और नाम रखने तक में भी हम पश्चिम का ही अनुसरण करते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक सब कुछ नकली होता है। असलीयत पूर्णत: लुप्त हो गई है। अब धोती, कुर्ता और साड़ी तो मुझे लगता है संग्रहालय में ही रखने होंगे। धोती कैसी थी, वह देखने के