SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुरुवाणी-३ सुपक्ष से युक्त राज्य का भी नाश हो जाता है। आज घर-घर में क्लेश क्यों उत्पन्न होता है? ननद और सास मिलकर पुत्र को ऐसे भड़काती है कि वह स्त्री से पूर्ण रूपेण विमुख बना देती है तो ऐसी अवस्था में वह घर बरबाद हो जाता है। कई बार ससुराल वाले भी जमाई को ऐसा चढ़ा देते हैं कि उसे माँबाप, भाई-बहन से विमुख बना देते हैं। संसार में कदम-कदम पर भड़काने के प्रसंग चलते ही रहते हैं। सभी स्थानों पर सुपक्ष से युक्त मानव होगा तभी शान्ति से जीवन व्यतीत कर सकेगा। सुपक्ष का दूसरा अर्थ यह है कि सच्ची सलाह देने वाले। दूसरों को सच्ची सलाह देने वाले बहुत कम लोग होते हैं । इस प्रकार सुपक्ष से युक्त मानव अपने जीवन में शान्ति प्राप्त कर सकेगा। शान्ति होगी तभी धर्म की आराधना कर सकता है। चार प्रकार की बुद्धि1. कार्मणिकी - काम करते-करते ही मनुष्य को जो सूझ प्राप्त होती जाती है। 2. पारिणामिकी - अर्थात् अवस्था के साथ ही जो विकास को प्राप्त करती है। 3. औत्पातिकी - अर्थात् प्रत्युत्पन्नमति । हाजिर जवाबी। 4. वैनयिकी - विनय करते-करते ही देव-गुरु-धर्म की कृपा से यह बुद्धि प्रकट होती है।
SR No.006131
Book TitleGuru Vani Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy