________________
*
*
*
*
२०१
* आठवाँ पद-चारित्र पद १५६ * मन्त्री की योजना
१९० * राग का त्याग और त्याग
१९२-१९७ का राग
१५६/ * छ:हों खण्ड में जागृत शासन १९२ * त्याग का भी अहंकार १५७ * श्रेय और प्रेय
१९२ नौवाँ पद - नमो
| * विनय
१९३ तवस्सः-
१५९-१६५ / * नम्रता सबको अच्छी लगती है १९३ * तप के दो भेद १५९/ * पुष्पशाल की कथा
१९४ * बाह्य तप के छः भेद १५९/* गुणों को ग्रहण करने के * अभ्यन्तर तप के छः भेद १६२/ लिए पात्र
१९५ * बाहुबली ने बल को
* पिता-पुत्र का संवाद १९६ अक्षय किया १६३ विनयः
१९८-२०३ सिद्धचक्र का ध्यानः-१६६-१७२ * धर्म रूपी वृक्ष का मूल १९८ * एक के पुण्य से अनेक बच गए १६७/* विनयी कौन? साधु या राजपुत्र १९९ * प्रश्न का निराकरण १६९ * चार प्रकार की बुद्धि * किसमें से पुण्य बाँधा १६९ * वैनियकी बुद्धि-दो शिष्यों * चरक ऋषि की परीक्षा १७१ का दृष्टान्त
२०२ महामंत्र नवकारः- १७३-१७७ विनयः-
२०४-२११ * तीन-तीन जन्मों को सुधारने * विनय के अभाव में समाज वाला.....!
१७३) की दुर्दशा * सम्पत्ति विष है
१७५/ * विनयी शिष्य का उत्तर २०५ वृद्धानुगः- १७८-१८३ * स्वर्ग यहीं है * गुणस्वरूप धर्म १७८ * नौ प्रकार का दान
२०७ * वृद्ध किसे कहें?
१७९ | * वाणी का दान * हृदयपारखी बुढ़िया की कथा १८०/* काया का दान
२०८ * संग वैसा ही रंग
१८२ * नमस्कार दान वृद्धानुगः
१८४-१९१
| * गुरुकृपा से क्या नहीं होता
गुरुकृपा सच * वाणी रूपी किरणें
१८४ पू. धर्मसूरि महाराज २०९ * घरडां गाडां वा (दष्टांत) १८४ कृतज्ञताः- २१२-२१९ * अरर! बुढ्ढा जी गया...!
* भवचक्र का पूर्णविराम! २१२ * मन्त्री पद के लायक कौन? १८८/* कृतज्ञता
२१२ * परिवर्तनशील जगत-सुबुद्धि
* शेयर बाजार का राजा मन्त्री की कथा १८९ * दो के स्थान पर दो लाख
२१५
२०४
*
*
*
*
२१४