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प्रभु के साथ चित्त जोड़ो
गुरुवाणी-२ बन जाता है, तभी वह सार्थक होती है। अनन्त काल से चित्त में अज्ञान रूपी अंधेरा भरा हुआ है । विषय और कषाय भरे हुए हैं। इस अन्धकार को दूर करने के लिए केवल प्रभु नाम रूपी किरण/प्रकाश की आवश्यकता है। कुछ समय के लिए ही सही, यदि हमारा प्रभु के साथ सम्बन्ध स्थापित हो जाए तो हमारा कल्याण हो जाए।