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________________ जोड़ और तोड़ श्रावण वदि १२ नमस्कार ..... ___ महापुरुषों के साथ हमें सम्बन्ध जोड़ना है तो किस प्रकार जोड़ना चाहिए? क्योंकि महापुरुष तो महान् होते हैं जबकि हम एक मामूली प्राणी हैं । नमस्कार यह एक ऐसी वस्तु है कि उसके माध्यम से हम महान् से महान् पुरुषों के साथ अपना सम्बन्ध जोड़ सकते हैं तथा महान् विभूतियों के साथ सम्बन्ध जोड़ने से उनमें रहे हुए अनन्त गुणों का संचार हमारे में होता है। जिस प्रकार विद्युत् गृह होता है और उसके साथ एक वायर का सम्पर्क कराने पर दुनिया के प्रत्येक देश में विद्युत् जा सकती है। परन्तु यदि वायर अर्थात् तार में किसी प्रकार की कमी हो अथवा अच्छी तरह से न जोड़ा गया हो तो हमको प्रकाश कैसे मिल सकता है? उसी प्रकार प्रभु के साथ सम्बन्ध स्थापित करना हो तो नमस्कार रूपी तार से ही जोड़ सकते हैं। किन्तु, इस तार में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। कोई महिला पानी भरने के लिए कुएं पर जाती है । घड़े को पानी में उतारती है। प्रारम्भ में घड़ा पानी पर तैरता है । जब महिला उसको दो-चार बार झुकाती है तो तत्काल ही वह घड़ा पानी से भर जाता है। उसी प्रकार जो मानव हृदय को सच्चे भावों से झुकाता है, नमन करता है उसका परम कल्याण हो जाता है। मस्तक से नमस्कार तो बहुत लोग करते हैं परन्तु यदि परमात्मा के साथ सम्बन्ध जोड़ना है तो हृदय से नमन करो। परमात्मा का जुड़ना हृदय के साथ ही होता है। इस योनि में ही परमात्मा हमारे बहुत नजदीक है । दूसरी
SR No.006129
Book TitleGuru Vani Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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