SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लोकप्रियता भादवा वदि २ धर्म योग्य बनने के लिए चौथा गुण है.... लोकप्रियता धर्म करने वाले मनुष्य को लोकप्रिय होना चाहिए। एक ओर तो वह अनेक प्रकार की तपस्या करता हो और दूसरी तरफ वह कंजूस का काका हो, तो उसकी प्रशंसा होगी या हंसी? जो मनुष्य धर्म करता हो वह किसी भी दिन किसी के प्रति हानिकारी शब्दों का उच्चारण नहीं करे। कदाचित् उच्चारण/बोल भी दे तो वह क्रोधित नहीं हो। लोकप्रिय बनना हो तो निम्नांकित बिन्दुओं पर ध्यान रखना चाहिए। इहलोक विरुद्ध निन्दा .... इहलोक विरुद्ध और परलोक विरुद्ध कोई भी कार्य मत करो। इहलोक विरुद्ध - जीवन में किसी की भी निन्दा मत करो। दुनिया में बुरी से बुरी वस्तु कहलाती है गरज । स्वार्थ में गधे को भी बाप कहना पड़ता है। उससे भी अधिक घृणित गाली है निन्दा। निन्दा का रस ऐसा अजीब होता है कि मनुष्य घंटो तक सुनता रहता है किन्तु ऊबता नहीं। निन्दा करना महापाप है.... एक गांव में एक मुनिराज रहते थे। वे मासक्षमण के ऊपर मासक्षमण करते थे। जनता में बहुत प्रसिद्धि थी - कैसे तपस्वी हैं, कैसे त्यागी हैं। ऐसे समय में कोई अन्य साधु भी घूमते-घूमते वहाँ आ गये। चौमासे का समय निकट था इसीलिए उसी गांव में चौमासा करने के लिए रहे। ये महाराज उपाश्रय के ऊपर के हिस्से में रहते हैं। ये महाराज प्रतिदिन वहोरने के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं और उनके मन में एक ही विचार घूमता रहता है - अरे, कहाँ ये तपस्वी और कहाँ मैं ! मैं कैसा आचार में शिथिल हूँ? उत्तम कुल में जन्म लेने के बाद भी मैं तप-त्याग
SR No.006129
Book TitleGuru Vani Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy