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श्रुतदेवता की स्तुति
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श्रुतदेवी प्रत्यक्ष (प्रगट) न हो, तो भी श्रुतभक्ति का भाव इस प्रकार की स्तवना से बढता है और उससे भी कर्मक्षय होता है।
जिज्ञासा : श्रुतसागर के प्रति जिनके हृदय में भक्तिभाव है, उनके ही कर्मनाश की प्रार्थना किसलिए ? दूसरों के लिए क्यों नहीं ?
तृप्ति: श्रुत के प्रति भक्तिभाव से रहित आत्मा के कर्म का नाश श्रुतदेवी भी नहीं कर सकती । कर्मनाश में बाह्य अनुकूलता या सहायता तब ही सफल होती है, जब हृदय में शुभभाव हो। इसलिए सभी के कर्मों का नाश करने के लिए प्रार्थना न करते हुए मात्र जिनके हृदय में श्रुत के प्रति भक्ति भाव है, उनके ही कर्मों के नाश की प्रार्थना की गई है।