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________________ ३०२ सूत्र संवेदना-५ उसको घेरे हुए ८ कूट हैं जिसके ऊपर भी एक-एक चैत्य है। यह प्रत्येक जिनमंदिर में १२० जिनप्रतिमाएँ बिराजमान हैं। ४. मेरुपर्वत के चैत्यः २५ चैत्य ३००० प्रतिमाएँ (१९) मेरुपर्वत की तलहटी में भद्रशालवन है। वहाँ से ५०० योजन ऊपर नंदनवन है। वहाँ से ६२५०० योजन ऊपर सोमनसवन है। वहाँ से ३६००० योजन ऊपर पांडुकवन है। इन चारों वनों में चारों दिशाओं में एक-एक चैत्य है, उससे कुल (४४४) १६ चैत्य प्राप्त होते हैं और मेरुपर्वत के ऊपर ४० योजन ऊँची चूलिका है, उसके ऊपर एक चैत्य है, इस प्रकार मेरुपर्वत के ऊपर कुल १७ चैत्य हैं। भद्रशालवन की चार विदिशा में चार प्रासाद (देवदेवीओं के महल) हैं। वे महल और भद्रशालवन के चार चैत्यों के बीच एक-एक कूट (टेकरा) है। ऐसे कुल ८ कूट हैं, जिसे करिकूटपर्वत कहते हैं। उन हर एक करिकूटपर्वत के ऊपर चैत्य हैं; इन चैत्यो की गिनती भी मेरु के चैत्यों के साथ करने से मेरु के कुल २५ चैत्य हैं। मेरुपर्वत के चैत्य : स्थान चैत्यों की संख्या तलहटी में |भद्रशालवन में ४ दिशाओं में • करिकूटपर्वत के पर्वत पर • नंदनवन में ४ दिशाओं में । • सोमनसवन में ४ दिशाओं में • पांडुकवन में ४ दिशाओं में • चूलिका का < Fm < < <
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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