________________
सकलतीर्थ वंदना
३०१
जंबूवृक्ष-शाल्मलिवृक्ष के ऊपर ११७ चैत्य
मध्य का एक
ફરતાં ૧૦૮ નાના જંબુવૃક્ષના થડ
उत्तरकुरू में पूर्वार्ध के मध्यभाग में जंबूवृक्ष है। उसका स्थान पीछे चित्र में बताया गया है, यहाँ उसका स्वतंत्र चित्र दिया गया है। जंबूद्वीप के अधिष्ठायक का प्रासाद इस वृक्ष पर है।
उत्तरकुरु के पूर्वार्ध में ५०० योजन लंबा, चौड़ा और उससे कुछ अधिक ऊँचा एवं बीच में से १२ योजन मोटा तथा किनारे पर आधा योजन मोटा ऐसा जंबूपीठ है। इसके मध्य भाग में मणिमय पीठिका पर जंबूवृक्ष है। यह वृक्ष वनस्पतिकाय नहीं है, परन्तु रत्नमय पृथ्वीकाय का है। इस वृक्ष का मूल ज़मीन में आधा योजन नीचे गया है। ऊपर का तना २ योजन ऊँचा एवं आधा योजन चौड़ा है। तने के ऊपर विडिमा नाम की एक ऊर्ध्वशाखा ६ योजन ऊँची है। चारों दिशाओं में चार शाखाएँ पावणे चार = ३२/, योजन लंबी है। ऊर्ध्वशाखा के ऊपर एक सिद्धायतन (शाश्वत चैत्य) है। जंबूवृक्ष के चारों तरफ अन्य जंबूवृक्ष के छ: वलय हैं। प्रथम वलय मे आधे मापवाले १०८ जंबूवृक्ष हैं। इन १०८ जंबूवृक्ष के ऊपर भी इसी प्रकार एक-एक चैत्य है और