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________________ २६० - संवेदना - ५ सूत्र २६ (७९) सिवा - महासती शिवादेवी शिवादेवी भी चेड़ा राजा की ही पुत्री थीं । उनकी शादी उज्जयिनी नगरी के चंडप्रद्योत राजा से हुई थी। शिवारानी दृढ़ शीलव्रतधारी थीं। एक देवता ने उनको विचलित करने का बहुत प्रयास किया, परन्तु वह सर्वथा निष्फल हुआ। क्रोधित हुए उस देव ने उज्जयिनी पर अग्नि का उपद्रव किया। नगर रात-दिन जलने लगा । शमन के सभी उपाय एवं देव को खुश करने के सभी प्रयास व्यर्थ हुए। तब अभयकुमार ने सलाह दी कि शीलवती नारी नगर के सभी घरों के ऊपर जल प्रक्षालन करे, तो उपद्रव शांत हो जाएगा। अनेक स्त्रियों ने ऐसा किया, परन्तु उपद्रव शांत नहीं हुआ। जब शिवादेवी ने नवकार मंत्र का जाप कर पानी छिड़का तब तत्काल अग्नि शांत हो गई। कैसी होगी इस महासती की शील की अडिगता । अनुक्रम से शिवादेवी निरतिचार चारित्र का पालन करके, सभी कर्मों का क्षय कर मोक्ष में गईं। " हे शिवादेवी! अनेक संकटों के बीच भी शील की रक्षा करनेवाले आपके धैर्य और सत्त्व को धन्य है ।" - 5. श्री चेडा राजा की सात पुत्रियाँ सात सतियों के रूप में प्रसिद्ध हुईं। वे सातों वंदन के योग्य है। परन्तु यहाँ सात की जगह आठ नाम प्राप्त हुए हैं। इससे संबंधित सच्चाई का पता चले तो विशेषज्ञ बताने की कृपा करें। उनके नाम और उनका सामान्य परिचय इस प्रकार हैं। प्रभावती - सिंध नरेश उदयन राजा की पत्नी पद्मावती - चंपापुरी के दधिवाहन राजा की पत्नी तथा करकंडु की माता मृगावती - कौशांबी के शतानीक राजा की पत्नी और उदयन राजा की माता शिवादेवी उज्जयिनी में चंडप्रद्योत राजा की पत्नी ज्येष्ठा • नंदिवर्धन राजा की पत्नी सुज्येष्ठा - साध्वी हुई / सत्यकी विद्याधर की माता चेल्ला - श्रेणिक राजा की पत्नी तथा कोणिक की माता धारिणी - चंदनबालाजी की माता/ दधिवाहन राजा की पत्नी
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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