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________________ नौवाँ व्रत गाथा-२७ मैं सामायिक करता हूँ। मन, वचन, काया से होनेवाली सब प्रकार की पाप प्रवृत्तियों का करने एवं करवाने रूप मैं त्याग करता हूँ। हे भगवंत ! भूतकाल में किए हुए पाप व्यापारों की निन्दा, गर्दा करके इस पाप पर्यायवाली मेरी आत्मा का मैं परित्याग करता हूँ।' इस प्रकार की प्रतिज्ञा करके श्रावक सामायिक में इसके पालन के लिए यथायोग्य प्रयत्न करता है। __ प्रयत्न करते हुए भी प्रमादादि दोषों के कारण इस व्रत संबंधी जिन अतिचारों की संभावना होती है उनकी इस गाथा द्वारा निन्दा की गई हैं। तिविहे दुप्पणिहाणे - तीन प्रकार के दुष्प्रणिधान के विषय में । 'प्रणिधान' शब्द का अर्थ है - एकाग्रता, तन्मयता, स्थिरता । दुष्प्रणिधान याने दुष्ट विषयों में बनी स्थिरता । मन-वचन-काया की ऐसी अनिष्ट एकाग्रता या अनिष्ट स्थान में बनी हुइ एकाग्रता ही तीन प्रकार का दुष्प्रणिधान है । सामायिक को स्वीकार कर श्रावक समभाव में स्थिर रहने का यत्न करता है। उसके लिए वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा एवं धर्मकथा ऐसे पाँच प्रकार का स्वाध्याय करता है। समभाव में रहे हुए महापुरुषों का ध्यान करता है। उनका नाम स्मरण रूप जाप करता है, एवं दूसरी शुभ क्रियाओं में भी मन, वचन एवं काया को स्थिर रखने का प्रयत्न करता है। फिर भी, अनादिकाल से आत्मा में रहे हुए ममता आदि के कुसंस्कार, समभाव के लिए बाधक बने ऐसे विचारों में मन को खींच लेते हैं, समभाव को स्खलित करे ऐसी वाणी का व्यवहार करवाते हैं एवं काया को अयोग्य प्रवृत्तियों की तरफ ले जाते हैं। समभाव के लिए बाधक मन, वचन, काया का ऐसा व्यवहार सामायिक व्रत को दूषित करता है। अतः मन-दुष्प्रणिधान, वचनदुष्प्रणिधान एवं काय-दुष्प्रणिधान ये तीनों सामायिक व्रत में अतिचार हैं। इसलिए निरतिचार सामायिक की इच्छा रखनेवाले श्रावक को सामायिक के समय घर, कुटुंब या परिवार संबंधी, व्यापार या व्यवहार संबंधी या सांसारिक किसी भी कार्य संबंधी मन, वचन, काया की निरर्थक प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए । 3 इस अतिचार से बचने के लिए सामायिक में मन-वचन-काया के ३२ दोषों से बचना चाहिए। उसके लिये देखिये सूत्र संवेदना-१ में सामाइए-वय-जुत्तो सूत्र।
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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