SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सातवाँ व्रत गाथा - २० १६१ फले अ - अनेक प्रकार के फल एवं 'अ' शब्द से अनजाने फल । सीताफल जैसे तुच्छ फल एवं जिनमें त्रस जीवों की उत्पत्ति अधिक प्रमाण में होती हो वैसे बेर, जामुन वगैरह फलों का त्याग करना अथवा उनके उपभोग का प्रमाण निश्चित करना । गंध - केसर, कस्तूरी, कपूर, पर्फ्यूम, अत्तर, कोलोन, आदि अनेक प्रकार के सुगंधित द्रव्य का त्याग या नियंत्रण करना । मल्ले य : फूल वगैरह की मालाओं एवं माला के उपलक्षण से शरीर शृंगार के लिए जो साधन-सामग्रियाँ हों उनका प्रमाण निश्चित करना । इस जगत में भोगोपभोग की सामग्री संख्यातीत हैं। उन सबके नाम इस गाथा में नहीं है, 'मज्ज' आदि शब्द से शरीर के अन्दर की भोग सामग्रियों का संग्रह किया है एवं गंधमल्ले शब्द से बाह्य भोग की सामग्रियों का संग्रह किया हैं । इसलिए इस गाथा में लिखी हुई वस्तुओं के अलावा खाने-पीने की वस्तुएँ तथा वस्त्र, पात्र, शय्या आदि का प्रमाण निश्चित करना चाहिए। इसके लिए दिन और रात्रि के भोगोपभोग की सामग्री का प्रमाण मर्यादित करने हेतु श्रावक सदैव चौदह नियम लेते हैं। 3. संपूर्ण भोगोपभोग विरमण व्रत न पाल सके तो भी अविरति के बहुत से पापों से बचने के लिए श्रावक सचित्त त्याग आदि चौदह नियम धारण करता है, जो सामान्य से इस प्रकार हैं : १) सचित्त: सजीव वस्तु, कच्चा पानी, फल, नमक आदि की संख्या का नियम करना। २) द्रव्य : मुँह में डालने वाली हरेक चीज़, वस्तु की संख्या निश्चित करना । ३) विगई : दूध, दही, घी, तेल, गुड़-शक्कर एवं कढ़ाई का नियम लेना । ४) उपानह: जूते, चप्पल आदि की संख्या निर्धारित करना । प्रमाण ५) तंबोल : मुखवास - सुपारी-सौंफ - धानादाल आदि का संख्या से या वजन से, निश्चित करना । ६) वस्त्र : पहनने के वस्त्रों के जोड़े, छूटे कपड़े आदि की संख्या निर्णित करना । ७) कुसुम : सूंघने की वस्तु, तपकिर, फूल, अत्तर आदि का प्रमाण निश्चित करना। ८) वाहन : ट्रेन, बस, मोटर, गाड़ी, सायकल, रिक्शा, विमान, लिफ्ट आदि की संख्या का नियम लेना । ९) शयन : पलंग-बिछौना, कुर्सी आदि की संख्या निश्चित करना ।
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy