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अनुक्रमणिका क्रम विषय पृष्ठ संख्या | क्रम विषय पृष्ठ संख्या A भूमिका
* अप्रशस्त योग का प्रतिक्रमण ६६ B वंदित्तु
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* चित्तवृत्ति का संस्करण १. सूत्र परिचय
दर्शनाचार २. गाथा का क्रम
गाथा-५ आगमणे निग्गमणे० ३. मूल सूत्र
* सम्यग्दर्शन के तीन बाह्य ४. गाथा-१ वंदित्तु०
अतिचार
७१ * मंगलाचरण
गाथा-६ संका कंख विगिच्छा० ७४ * विघ्नों के प्रकार
* सम्यग्दर्शन के पांच आंतरिक * पंच परमेष्ठी की वंदना
अतिचार * श्रावक का धर्म
* चित्तवृत्ति का संस्करण * श्रावक धर्म के अतिचार
९. चारित्राचार * अनुबंध चतुष्टय
गाथा-७ छक्काय-समारंभे० ८० गाथा-२ जो मे वयाइआरो०
* चारित्राचार संबंधी अतिचार ८१ * अतिचार का स्वरूप
गाथा-८ पंचण्हमणुब्बयाणं० ८४ * निंदा का स्वरूप
* बारह व्रतों के अतिचारों का * गर्दा का स्वरूप
सामान्य से प्रतिक्रमण ६. गाथा-३ दुविहे परिग्गहम्मी०
१०. पांच अणुव्रतों के अतिचारों * आरंभ, समारंभ एवं संरंभ
का प्रतिक्रमण * स्वरूप हिंसा
प्रथम व्रत * हेतु हिंसा
गाथा-९ पढमे अणुव्वयम्मी० * अनुबंध हिंसा
* हिंसा के प्रकार * अनुमोदना के तीन प्रकार
* भाव हिंसा से बचने के उपाय * चित्तवृत्ति का संस्करण
* व्रत की प्रतिज्ञा ७. ज्ञानाचार
* सवा वसा की दया गाथा-४ जंबद्धमिदिएहि
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* प्रमाद के प्रकार * प्रशस्त प्रवृत्ति एवं अप्रशस्त
* व्रत पालन का फल प्रवृत्ति
गाथा-१० वह-बंध-छविच्छेए० * प्रशस्त कषाय व अप्रशस्त
* प्रथम व्रत का अतिचार * चित्तवृत्ति का संस्करण
कषाय