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________________ १८२ 40454RAMMA - JABAR WRITINewmsamvascucwew.com wwwghoneshwere Moreparsa w eshwawww. 268800ama RAISEN S ARASHRS.20000000000+ 300000 AMERR-Mayatimes * R igreeneryone wali gawdaai STARSeewseye980 Rememe- miath02NE MYeshiwwwmonet o tranglewwwwimweatevaivsarmahade00000000SRANAME Mahaniwe whileyawww .wwhin R amRRRRmse Aaropped g y anea.00AINPERATOnerpre24 t Homsara swapkoonwane warnywapwonloori es - agarway mawalemantagarat CHUNANApanga2800: 0 0Aware NERALIAN 3000 yesome RUBBER 20RRARO ॐrtmemar k amwrantarwasnet 0 RI Kidndeanswerwwwsehrawkwwwxamroso Nar 4900mA PNAMAKARINMaar पुण्यात्माओ! सिर्फ एक हजार रुपया एक ही बार भर कर आप जीवनभर के लिए आपके और आपके परिवार के आत्मा का बीमा करवा सकते हैं । यह बीमा कंपनी है - 'सन्मार्ग' पाक्षिक | हाँ ! हर पन्द्रह दिन में एक बार वह आपके घर आ कर आपको मिलता है और आपके आत्महित की चिन्ता करता है ।। पिछले ग्यारह साल जितने कम समय में जैन जगत में उत्कृष्ट ख्याति प्रतिष्ठा प्राप्त किए ‘सन्मार्ग' पाक्षिक के बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं लगता । ___ यह सन्मार्ग में जगप्रतिष्ठित व्याख्यानवाचस्पति पू. आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के, हर एक आत्मा को जागृत करनेवाले प्रवचन तो आते ही है और अधिकांश में हम अभी जिनके प्रवचनों को सुनने में एकाग्र बन जाते हैं, प्रभुवाणी में ओतप्रोत हो जाते हैं, जिन्हें सुनने का बारबार मन होता है, वो प्रवचनप्रभावक पू. आ. श्री विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराज के जिनाज्ञानिष्ठ प्रवचनों का हूबहू अवतरण उसमें नियमित रूप से प्रकाशित होता है | इसके अलावा - शंका-समाधान, प्र नोत्तरी, शासन-समाचार, आगम के अर्क देते लोक और सांप्रतकालीन प्रवाहों के बारे में शास्त्रीय मार्गदर्शन परोसा जाता है । सन्मार्ग के विशिष्ट रंगीन विशेषांकों ने अपनी खुद की उत्कृष्ट पहचान स्थापित की है | | हर पन्द्रह दिन A/4 साइझ के १६ पन्ने, हर साल करीब ३०० पेज का वाचन, विशिष्ट विशेषांक, सुपर व्हाईट पेपर पर आकर्षक प्रिन्टींग में घर बैठे यह मिलता है । फिर भी आजीवन सदस्यता सिर्फ रु. १०००/सन्मार्ग जीवनभर घर आकर आपका आत्मकल्याण करेगा । आज ही अपना सभ्यपद प्राप्त करें।
SR No.006126
Book TitleSutra Samvedana Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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