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सकलकुशलवल्ली सार्थ प्रकार के कुशल को देनेवाले है, पाप का नाश करनेवाले है, माँगे बिना जिनके पास से सब कुछ मिलता है, उनके प्रति आदर और बहुमान किसे नहीं होता ? समझदार को होता ही है और अपने उस सद्भाव के कारण उनका श्रेय होता है, तो भी कर्ता स्तुति करनेवाले को मानों आशीर्वाद देते हो या उनकी श्रद्धा को मजबूत करते हो, वैसे कहते है कि, 'शांतिनाथ भगवान तुम्हारा भी कल्याण करें !'
इस पद द्वारा कर्ता की विशाल-उदात्त भावना का दर्शन होता है ।