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सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र
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सूत्र परिचय
धर्मक्रिया का अंतिम लक्ष्य और फल सिद्ध अवस्था है । इस सूत्र में सिद्ध अवस्था के स्वरूप को बताकर सिद्ध भगवतों को नमस्कार किया जाता है, इसीलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'सिद्धस्तव' है ।
सिद्ध अवस्था का ज्ञान, सिद्ध आत्माओं का आनंद, सिद्ध भगवंतों के सुख की श्रद्धा इत्यादि ही भव्यात्मा को धर्मकार्य में प्रेरणा देती है । धर्म करके ऐसा सुख मुझे मिलनेवाला है, ऐसी अवस्था मुझे प्राप्त होनेवाली है, ऐसी समझ धर्ममार्ग में उत्साह की वृद्धि करती है ।
इस सूत्र की पहली गाथा में सिद्ध भगवंत कैसे है ? उनका ज्ञान किस प्रकार का है ? उन्होंने संसार के पार को किस प्रकार से प्राप्त किया, वगैरह बताया गया है । ऐसे स्वरूपवाले सिद्ध भगवंतों का एकाग्रतापूर्वक ध्यान किया जाए, तो साधक आत्मा क्रमिक विकास करते हुए अंत में सिद्ध अवस्था की प्राप्ति तक ज़रूर पहुँच सकता है ।
दूसरी गाथा में अपने आसन्न उपकारी वीरभगवंत की विशेषता बताकर उनकी वंदना की गई है । तीसरी गाथा में वीर भगवान को पूर्ण भाव से किया गया एक भी नमस्कार कैसे उत्तम कोटि के फल को देता है, वह