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________________ सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र : CXKXR45 सूत्र परिचय धर्मक्रिया का अंतिम लक्ष्य और फल सिद्ध अवस्था है । इस सूत्र में सिद्ध अवस्था के स्वरूप को बताकर सिद्ध भगवतों को नमस्कार किया जाता है, इसीलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'सिद्धस्तव' है । सिद्ध अवस्था का ज्ञान, सिद्ध आत्माओं का आनंद, सिद्ध भगवंतों के सुख की श्रद्धा इत्यादि ही भव्यात्मा को धर्मकार्य में प्रेरणा देती है । धर्म करके ऐसा सुख मुझे मिलनेवाला है, ऐसी अवस्था मुझे प्राप्त होनेवाली है, ऐसी समझ धर्ममार्ग में उत्साह की वृद्धि करती है । इस सूत्र की पहली गाथा में सिद्ध भगवंत कैसे है ? उनका ज्ञान किस प्रकार का है ? उन्होंने संसार के पार को किस प्रकार से प्राप्त किया, वगैरह बताया गया है । ऐसे स्वरूपवाले सिद्ध भगवंतों का एकाग्रतापूर्वक ध्यान किया जाए, तो साधक आत्मा क्रमिक विकास करते हुए अंत में सिद्ध अवस्था की प्राप्ति तक ज़रूर पहुँच सकता है । दूसरी गाथा में अपने आसन्न उपकारी वीरभगवंत की विशेषता बताकर उनकी वंदना की गई है । तीसरी गाथा में वीर भगवान को पूर्ण भाव से किया गया एक भी नमस्कार कैसे उत्तम कोटि के फल को देता है, वह
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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