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सूत्र संवेदना नवकार के जाप एवं ध्यान का तथा उसे सुनने और सुनाने का फल शब्दातीत है । जन्म के समय नवकार सुनाया जाए, तो जन्म लेनेवाले को विपुल संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा मृत्यु के समय नवकार सुनाया जाए, तो मृत्यु के बाद सद्गति की प्राप्ति होती है । नवकार गिनने से सर्व प्रकार के भय का नाश होता है । भौतिक ऋद्धि, समृद्धि की प्राप्ति तो नवकार का मामूली फल है, परन्तु जिन्होंने मोक्ष का शाश्वत सुख प्राप्त किया है, कर्म मल से रहित होकर जो मोक्ष में जा रहे हैं अथवा भविष्य में जाएँगे, उन सब का मूल नवकार ही है । जिसके हृदय में नवकार बसा हो, उसे दुनिया में सिर्फ अरिहंत और सिद्ध पद ही प्राप्त करने जैसा लगता है और उसके लिए वह साधु बनने की तीव्र अभिलाषा रखता है । इसी कारण से उसके चित्त को संसार की कोई भी वस्तु या स्थिति राग या द्वेष उत्पन्न करके व्याकुल या व्यथित नहीं कर सकती ।
मूल सूत्र:
नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं । नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं ।
नमो लोए सव्व-साहूणं । एसो पंच-नमुक्कारो, सव-पाव-प्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ।
पद-९
पद-९
अक्षर-६८
संपदा-८ पद ई नमो अरिहंताणं पद :- नमो सिद्धाणं पद ३ नमो आयरियाणं
संपदा १ संपदा २ संपदा ३