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श्री नमस्कार महामंत्र
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सूत्र परिचय :
नमस्कार महामंत्र को पंचनमस्कार, पंचनमोक्कारो, पंचपरमेष्ठि नमस्कार, पंच-मंगल-महाश्रुतस्कंध आदि कहते हैं । यह मंत्र एक-एक पद के पाँच अध्ययन एवं चार पदों की एक चूलिका मिलकर बना है । सूत्र एवं अर्थ से यह शाश्वत है ।
महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराजा ने नमस्कार महामंत्र के गुण गाते हुए कहा है
रतन-तणी जिम पेटी, भार अल्प बहुमूल्य, चौद पूरवनो सार छे, मंत्र ए तेहने तुल्य, सकल समय अभ्यंतर, ए पद पंच प्रमाण, महसुअ- खंध ते जाणो, चूला - सहित सुजाण - १३०
पंच परमेष्ठि गीता
जिस प्रकार रत्न की पेटी का वजन कम होता है और मूल्य अधिक होता है, उसी प्रकार अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु - इन पाँच परमेष्ठियों को वंदन करने में उपयोगी यह मंत्र मात्र अडसठ अक्षरों का होने