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________________ क्रम विषय * 'नमो उवज्झायाणं' बोलते समय करने योग्य भावना * 'नमो लोए सव्व - व- साहूणं' का विशेषार्थ * साधु का स्वरूप * साधु भगवंत के २७ गुण * साधु शब्द के भिन्न भिन्न अर्थ * 'सव्व' शब्द का प्रयोजन * सव्वसाहूणं के भिन्न-भिन्न अर्थ * साधु का किस वर्ण से ध्यान करना और क्यों ? * 'नमो लोए सव्वसाहूणं' बोलते समय करने पृष्ठ नं. क्रम २. ४२ ४२ ४३ ४४ ४५ ४५ ४६ ४७ योग्य भावना * पंच परमेष्ठी की पूज्यता * प्रथम पाँच पद संबंधी जिज्ञासा * 'एसो पंच नमक्कारो सव्व-पाव-प्पणासणो' का विशेषार्थ ५१ * 'मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवाइ मंगलं' का विशेषार्थ ५३ * मंगल के प्रकार ५४ ५४ * भावमंगल की उपकारकता मंगल शब्द के भिन्न भिन्न अर्थ ४८ ४८ ४९ ५६ विषय श्री पंचिंदिय * सूत्र परिचय * मूल सूत्र * अन्वय छाया और शब्दार्थ * 'पंचिंदिय संवरणो' सूत्र का विशेषार्थ * संवर के प्रकार * भाव संवर की प्राप्ति का उपाय * 'तह - नवविह- बंभचेर गुत्ति धरो' का विशेषार्थ पृष्ठ नं. ५९-९१ * ब्रह्मचर्य का स्वरूप * ब्रह्मचर्य विषयक जिज्ञासा * 'चउविह- कसाय - मुक्को' का विशेषार्थ * कषायों के भेद तथा प्रभेद * कषाय के प्रकार * अनंतानुबंधी आदि चार कषायों का स्वरूप * 'इअ... संजुत्तो' का विशेषार्थ 29 * 'पंच महव्वय जुत्तो' का विशेषार्थ * पाँच महाव्रतों का स्वरूप * 'पंचविहायारपालण समत्थो' का विशेषार्थ * 'पंच समिओ तिगुत्तो' का विशेषार्थ * 'पाँच समितिओं' का स्वरूप ५९ ६० ६१ ६१ ६२ ६३ ६५ ६५ ६७ ६९ ७० ७४ ७५ ७९ ७९ ८० ८४ ८६ ८६
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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