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क्रम
विषय
* 'नमो उवज्झायाणं'
बोलते समय करने
योग्य भावना
* 'नमो लोए सव्व - व- साहूणं' का विशेषार्थ
* साधु का स्वरूप
* साधु भगवंत के २७ गुण
* साधु शब्द के भिन्न भिन्न
अर्थ
* 'सव्व' शब्द का प्रयोजन
* सव्वसाहूणं के भिन्न-भिन्न अर्थ * साधु का किस वर्ण से
ध्यान करना और क्यों ?
* 'नमो लोए सव्वसाहूणं' बोलते समय करने
पृष्ठ नं. क्रम २.
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योग्य भावना
* पंच परमेष्ठी की पूज्यता
* प्रथम पाँच पद संबंधी
जिज्ञासा
* 'एसो पंच नमक्कारो सव्व-पाव-प्पणासणो'
का विशेषार्थ
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* 'मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवाइ मंगलं' का विशेषार्थ ५३ * मंगल के प्रकार
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५४
* भावमंगल की उपकारकता मंगल शब्द के भिन्न भिन्न
अर्थ
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विषय
श्री पंचिंदिय
* सूत्र परिचय
* मूल सूत्र
* अन्वय छाया और शब्दार्थ
* 'पंचिंदिय संवरणो'
सूत्र
का विशेषार्थ
* संवर के प्रकार
* भाव संवर की प्राप्ति का
उपाय
* 'तह - नवविह- बंभचेर गुत्ति धरो' का विशेषार्थ
पृष्ठ नं. ५९-९१
* ब्रह्मचर्य का स्वरूप
* ब्रह्मचर्य विषयक जिज्ञासा
* 'चउविह- कसाय - मुक्को' का विशेषार्थ
* कषायों के भेद तथा प्रभेद
* कषाय के प्रकार
* अनंतानुबंधी आदि
चार कषायों का स्वरूप
* 'इअ... संजुत्तो' का विशेषार्थ
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* 'पंच महव्वय जुत्तो' का विशेषार्थ
* पाँच महाव्रतों का स्वरूप
* 'पंचविहायारपालण
समत्थो' का विशेषार्थ
* 'पंच समिओ तिगुत्तो'
का विशेषार्थ
* 'पाँच समितिओं' का
स्वरूप
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