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करेमि भंते सूत्र
सूत्र परिचय :
"करेमि भंते सूत्र" द्वारा सामायिक की प्रतिज्ञा की जाती है, इसलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'सामायिक प्रतिज्ञा सूत्र' भी है । सामायिक लेने
की विधि में यह सूत्र मुख्य एवं सरल पाठ रूप होने से इसे 'सामायिक दंडक सूत्र' भी कहते हैं । इसके अलावा, इस सूत्र को समग्र द्वादशांगी का सार भी कहते हैं क्योंकि, द्वादशांगी की तरह यह सूत्र भी विभाव दशारूप सावध योग या असामायिक के परिणामों को त्याग कर स्वभाव दशा तथा सामायिक के भावों की तरफ ले जाने का यत्न करवाता है ।
इस सूत्र द्वारा की हुई सामायिक की प्रतिज्ञा में तीन काल संबंधी तीन प्रकार के संकल्प किये जाते हैं । १. मैं सामायिक करता हूँ । इस पद से वर्तमान काल में सामायिक करता हूँ, ऐसा वर्तमान काल संबंधी संकल्प होता है । २. 'जब तक मैं नियम में हूँ, तब तक मैं सावद्य योगों का पच्चक्खाण करता हूँ, ऐसा कहने से भविष्य में सामायिक की काल मर्यादा तक मैं पाप नहीं करूँगा, ऐसा भविष्यकाल संबंधी संकल्प किया जाता है एवं ३. 'मैं प्रतिक्रमण करता हूँ, सावध व्यापार की निंदा करता हूँ, गर्दा करता हूँ;' ऐसा कहने से भूतकाल के पापों से मुक्त होने का संकल्प किया जाता है ।