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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। सुरनर मुनिवर वन्दन पूजा, करता शिव अभिलाषी रे ।।
शान्ति ॥३॥ रायपसेणीमां पडिमा पूजा, सूर्याभ समकित धारी रे ।। जीवाभिगमे पडिमा पूजी, विजयदेव अधिकारी रे ।
शान्ति ' ।।४। जिनवर बिंब विना नवि वन्द, आणंदजी इम बोले रे । सातमे अंगे समकित मूले, अवर वहीं तस तोले रे ।।
शान्ति ।।५।। ज्ञातासूत्रमा द्रौपदी पूजा, करती शिवसुख मांगे रे । राय सिद्धारथ पडिमा पूजी, कल्पसूत्रमा रागे रे ।।
शान्ति ॥६।। विद्याचारण मुनिवर वन्दी, पडिमा पंचम अंगेरे । जंघाचारण वीशमें शतके, जिनपडिमा मन रंगे रे ॥
शान्ति ।।७।। आर्यसुहस्तिसूरि उपदेशे, साचो सम्प्रति राय रे । सवा क्रोड जिन बिम्ब भराव्या, धन धन तेहनी माय रे ।।
शान्ति ॥८॥