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________________ ९६ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। मोकली प्रतिमा अभयकुमारे, देखी आर्द्रकुमारे रे । जाति स्मरणे समकित पामी, वरिया शिववधु नार रे ।। शान्ति ॥९॥ इत्यादिक बहुपाठ कह्या छे, सूत्रमाहे सुखकारी रे । सूत्र तणो एक वर्ण उत्थापे, ते कह्या बहुल संसारी रे ।। शान्ति ।।१०।। ते माटे जिन आणाधारी, कुमति कदाग्रह वारी रे । भक्ति तणा फल उत्तराध्ययने, बोधिबीज सुखकारी रे ।। शान्ति ॥११॥ एक भवे दोय पदवी पाम्या, सोलमा श्री जिनराया रे । मुज मन मंदिरीये पधरावं, धवल मंगल गाउं रे ।। शान्ति ।।१२।। जिन उत्तम पद रुप अनुपम, कीर्ति कमलानी शाला रे । जीव विजय कहे प्रभुजीनी भक्ति, करता मंगल माला रे ।। शान्ति ।।१३।।
SR No.006121
Book TitleHaa Murti Pooja Shastrokta Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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