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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है।
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श्रीशान्तिनाथ भगवान
का स्तवन
शान्ति जिनेश्वर साहिब वन्दो, अनुभव रसनो कन्दोरे । मुखने मटके लोचन अटके, मोह्या सुरनर वृन्दो रे ॥
शांति ।।१।। आम्ने मंजरी कोयल टहुके, जलद घटा जिम मोरारे । तेम जिनवर ने निरखी हरखं, बलि जिम चंद चकोरा रे ।।
शान्ति ॥२॥ जिनपडिमा श्री जिनवर सारखी, सूत्र घणा छे राखी रे ।