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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। १. चैत्यवन्दनादि भगवान के गुणस्तुति करने से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय।
२. भगवान के दर्शन करने से दर्शनावरणीय कर्म का
नाश
३. प्राण-भूत-जीव-सत्व की करुणा से असातावेदनीय का क्षय ।
४. अरिहंतो के गुणों का या सिद्धों के गुणों का स्मरण करने से सम्यग्दर्शन की प्राप्ति और मोहनीय कर्म का क्षय
रा
होता है।
५. प्रभुपूजा में तल्लीन और शुभाध्यवसाय से उसी भव में मोक्ष प्राप्ति होती है यदि ऐसा न हो तो शुभगति का आयुष्य बन्ध कर क्रमशः (भवान्तर) मोक्ष को प्राप्ति अवश्य होती है।
६. मूर्तिपूजा में अरिहन्तादि का नाम लेने से अशुभ नाम कर्म का नाश। . . ७. अरिहंतादि का वन्दन या पूजन करने से नीच