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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। प्रश्न ४८ : पूजा में तो हम धमाधम देखते हैं ?
उत्तर : कोई अज्ञानी सामायिक करके या दयापाल के धमाधम करता हो तो क्या सामायिक व दया दोषित और त्यागने योग्य है या धमाधम करनेवाले का अज्ञान है ? दया पालने में एकाद व्यक्ति को धमाधम करता देख शुद्ध भावों से दया पालनेवालों को ही दोषित ठहराना क्या अन्याय नहीं है ?
प्रश्न ४९ : तप संयम से कर्मो का क्षय होना बतलाया है पर मूर्ति से कोन से कर्मो का क्षय होता है वहां तो उल्टे कर्म बन्धन है?
उत्तर : मूर्तिपूजा तप संयम से रहित नहीं है । जिसे तप संयम से कर्मो का क्षय होता है वैसे ही मूर्तिपूजा से भी कर्मो का नाश होता है । जरा पक्षपात के चश्में उतार कर देखियेमूर्तिपूजा में किस किस क्रिया से कौन से कौन से कर्मों का क्षय होता है।