________________
हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है।
किचित वक्तव्य आज सगंठन के युग में प्रत्येक राष्ट्र, देश, समाज और व्यक्ति एक दूसरे से हाथ से हाथ मिलाकर काम करना लाभप्रद समझता है । आर्य-समाजी जैसे मूर्ति के कट्टर शत्रु भी अब समझ गये कि हमारी खण्डन प्रवृत्ति से हमें लाभ के वजाय हानि उठानी पड़ती है । अत एव उन्होंने भी अपनी चाल बदल दी । मूर्ति के विषय मध्यस्थता धारण कर सनातनियों से हाथ मिलाया कारण ऐसा करने से ही वे उन्नति के मैदान में आगे बढ़ सकते है।
इसी भाँति हमारे समाज में भी मूर्ति मानने या नहीं