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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। सूत्रों में मूर्ति का बयान नहीं है तो सुन लीजिये।
१. श्री आचारांग सूत्र दूसरा श्रुतस्कन्ध पन्द्रहवें अध्ययन में सम्यक्त्व की प्रशस्त भावना में शत्रुजय गिरनारादि तीर्थों की यात्रा करना लिखा है (भद्रबाहु स्वामीकृत नियुक्ति)
२. श्री सूत्रकृतांग सूत्र दूसरा श्रुतस्कन्ध छठे अध्ययन में अभयकुमार ने आर्द्रकुमार के लिये जिनप्रतिमा भेजी जिसके दर्शन से उसको जाति स्मरण ज्ञान हुआ । (शी.टी)
३. श्री स्थानांग सूत्र चतुर्थ स्थानक में नन्दीश्वर द्वीप में ५२ मंदिरो का अधिकार है। . ४. श्री समवायांग सूत्र के सतरहवें समवाय में जंघाचारण विद्याचरण मुनियों के यात्रा वर्णन का उल्लेख हैं। __५. श्री भगवती सूत्र शतक ३ उ. १ के चमरेन्द्र के अधिकार में मूर्ति का शरण कहा है।
६. श्री ज्ञातसूत्र अध्याय ८में श्री अरिहंतों की भक्ति करने से तीर्थंकर गोत्र बन्धता हैं तथा अध्याय १६ में द्रौपदी