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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। महासतीने १७ भेद से पूजा की है। ___७. श्री उपासक दशांग सूत्र आनन्दाधिकार में जैन मूर्ति का उल्लेख हैं।
८. श्री अन्तगड और अनुत्तरोवाई सूत्र में द्वारिकादि नगरीयों के अधिकार में औत्पातिक सूत्र सदृश जैनमंदिरो का उल्लेख है।
९. प्रश्न व्याकरण सूत्र तीसरे संवरद्वार में जिनप्रतिमा की वेयावच्च (रक्षण) कर्म निर्जरा के हेतु करना बतलाया है।
११. विपाकसूत्र में सुबाहु आदि ने जिन प्रतिमा पूजी है।
१२. औत्पातिक सत्र में महले २ जैन मंदिर में तथा अंबड श्रावक में प्रतिमा का वन्दन करने की प्रतिज्ञा ली थी।
१३. राजप्रश्नीय सूत्र में सूरियाभ देव ने सत्रह प्रकार से पूजा की है।
१४. जीवा जीवाभिगम सूत्र में विजयदेवने जिनप्रतिमा