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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। या किसी अजैनों को जैन बनाया । कारण जिस समय जैनाचार्य पूर्वधर थे उस समय मूर्ति नहीं माननेवाले सब के सब अज्ञानी तो नहीं होंगे कि उन्होंने कोई ग्रंथ व ढाल, चौपाई, कवित्ता, छन्द का एक पद भी नहीं रचा ? बन्धुओं ! अब जमाना यह नहीं है कि चार दीवारों के बीच भोली भाली बहिनों के सामने कल्पित बात कर आप अपने को सच समझें । आज जमाना तो अपनी मान्यता को प्रमाणिक प्रमाणों द्वारा मैदान में सत्य बतलाने का है । क्या कोई व्यक्ति यह बतला सकता है कि लौंकाशाह पूर्व इस संसार में जैन मूर्ति नहीं माननेवाला कोई व्यक्ति था ? कदापि नहीं ।
प्रश्न ४२ : क्या ३२ सूत्रों में मूर्तिपूजा करने का उल्लेख है ?
उत्तर : यह तो हमने पहले से ही कह दिया था कि ऐसा कोई सूत्र नहीं है कि जिसमें मूर्ति का उल्लेख न हो । कदाचित् आपको किसी ने भ्रम में डाल दिया हो कि ३२