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________________ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। ५५ उत्तर आप ही दीजिये कि दया दान में धर्म व पुण्य, शास्त्र, इतिहास और प्रत्यक्ष प्रमाणों से सिद्ध हैं पर तेरह पन्थि लोग इसमें पाप होने की प्ररुपणा करते हैं क्या इतने बडे समुदाय में कोई भी आत्मार्थी नहीं है कि खुले मैदान में उत्सूत्र प्ररूपते हैं जैसे आप तेरह पन्थियों को समझते हैं वैसे ही हम आपको समझते हैं आपने मूर्ति नहीं मानी, तेरहपन्थियों ने दया दान नहीं माना, पर उत्सूत्र रूपी पाप के भागी दोनों समान ही हैं और स्थानकवासी व तेरहपन्थियों में जो आत्मार्थी हैं वे शास्त्रों द्वारा सत्य धर्म की शोध करके असत्य का त्याग कर सत्य को स्वीकार कर ही लेते हैं । ऐसे अनेक उदाहरण विद्यमान है कि स्थानकवासी तेरहपन्थी सेंकडो साधु संवेगी दीक्षा धारण कर मूर्ति उपासक बन गये। प्रश्न ३८ : स्थानकवासी और तेरहपन्थियों को आपने समान कैसे कह दिया कारण तेरहपन्थियों का मत तो निर्दय एवं निकृष्ट है कि वे जीव बचाने में या
SR No.006121
Book TitleHaa Murti Pooja Shastrokta Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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