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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। अन्य तीथियाँ अवन्दनीय।
४. भाव निक्षेप : वर्तमान के अन्य तीथियाँ अवन्दनीय।
यह सीधा न्याय है कि सतीर्थियों के जितने निक्षेप वन्दनीय है, उतने ही अन्य तीर्थियों के अवन्दनीय है अर्थात् स्व तीर्थियों के चारों निक्षेप वन्दनीय है और अन्य तीर्थियों के चारों निक्षेप अवन्दनीय है।
प्रश्न २३ : मूर्ति जड है उसको पूजने से क्या लाभ ?
उत्तर : जड में इतनी शक्ति है कि चैतन्य को हानि लाभ पहुंचा सकता है । चित्र लिखित स्त्री जड होने पर भी चैतन्य का चित्त चंचल कर देती हैं । जड कर्म चैतन्य को शुभाऽशुभ फल देते हैं । जड भांग, चैतन्य को भान (होश) भुला देती है । जड सूत्र चैतन्य को सद्बोध कराते हैं, जड मूर्ति चैतन्य के मलिन मन को निर्मल बना देती है । मित्रो ! आजकल का जड मैस्मरेज्म और सायन्स कैसे २ चमत्कार