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________________ ૨૮ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। अवन्दनीय हैं तो अन्य तीर्थंकरो का भावनिक्षेप अवन्दनीय और शेष तीन निक्षेप वन्दनीय ठहरते हैं, पर ऐसा नहीं होता, देखिये.... अरिहंतो के चार निक्षेप १. नाम निक्षेप : अरिहंतो का नाम वन्दनीय २. स्थापना निक्षेप : अरिहंतो की मूर्ति या अरिहंत ऐसे अक्षर लिखना वन्दनीय । ___३. द्रव्य निक्षेप : भाव अरिहंतो भूत, भविष्यकाल के अरिहंत वन्दनीय । ४. भाव निक्षेप : समवसरण स्थित अरिहंत वन्दनीय । अन्य तीर्थयों के चार निक्षेप १. नाम निक्षेप : अन्य तीर्थियों का नाम निक्षेप अवन्दनीय। २. स्थापना निक्षेप : अन्य तीर्थंकरों की मूर्ति 'अवन्दनीय। ३. द्रव्य निक्षेप : भाव निक्षेप का भूत भविष्यकाल के
SR No.006121
Book TitleHaa Murti Pooja Shastrokta Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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