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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । ર૭ आपके जैसा कहें तो कौन सा अनुचित हुआ ? यदि नहीं तो फिर जिनराज की प्रतिमा को जिन सारखी कहने ही में क्या दोष है ? यदि कुछ नहीं तो फिर कहना ही चाहिये।
प्रश्न १० : यदि मूर्ति जिन सारखी है तो उसमें कितने अतिशय हैं ?
उत्तर : जितने अतिशय सिद्धो में हैं उतने ही मूर्ति में है, क्योंकि मूर्ति भी तो उन्हीं सिद्धों की ही है । अच्छा अब आप बतलाइये कि भगवान की वाणी के पैंतीस गुण हैं, आपके सूत्रो में कितने गुण है ?
प्रश्न ११ : यदि जिनप्रतिमा जिनसारखी है तो फिर उस पर पशु पक्षी वीटें क्यों कर देते हैं ? उनको अर्पण किया हुआ नैवेद्य आदि पदार्थ मूषक मार्जार क्यों ले जाते है ? तथा उन्हें दुष्ट लोग हड्डियां की माला क्यों पहना देते हैं ? उनके शरीर पर से आभूषण आदि चोर