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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। २५ प्रश्न ७ : सूत्रों में तीन चौबीसी का नाम मात्र लिखा है स्थापना कहां है ?
उत्तर : जो नाम लिखा है वही तो स्थापना हैं । जब मूर्ति स्वयं अरिहंतो की स्थापना है तो सूत्र उन अरिहंतो की . वाणी की स्थापना है इसमें कोई अन्तर नहीं है ।
प्रश्न ८ : सूत्रों के पढने से ज्ञान होता है । क्यां मूर्ति के देखने से भी ज्ञान होता है ?
उत्तर : ज्ञान होना या नहीं होना आत्मा के उपादान कारण से सम्बन्ध रखता है । सूत्र और मूर्ति तो मात्र निमित्त कारण हैं, सूत्रों से एकान्त ज्ञान ही होता है तो जमाली गोशालादि ने भी यही सूत्र पढे थे, फिर उन्हें ज्ञान क्यों नहीं हुआ ? जगवल्लभाचार्य को मूर्ति के सामने केवल चैत्यवन्दन करने ही से ज्ञान कैसे हो गया ? इसी प्रकार अनेक पशु पक्षियों व जलचर जीवों को मूर्ति के देखने मात्र से जातिस्मरणादि ज्ञान हो गये हैं, अतः नाम की अपेक्षा