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हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है ।
६४ ज्ञाता सूत्र में २० वीस बोलों का सेवन करना, तीर्थंकर गोत्र बांधना बतलाया है पर मूर्तिपूजा से तीर्थंकर गोत्रबंध नहीं कहा है ?
६५ मूर्तिपूजा में हिंसा होती है, उसे आप धर्म कर्म मानते हो ?
६६ पूजा यत्नों से नहीं की जाती है ?
६७ बस अब में आपको विशेष कष्ट देना नहीं चाहता हूं । कारण में आपके दो प्रश्नों के उत्तर में हा सब रहस्य समझ गया, पर यदि कोई मुझसे पूछले तो उसको जवाब देने के लिये मैंने आपसे इतने प्रश्न किये हैं । आपने निष्पक्ष होकर न्यायपूर्वक जो उत्तर दिया उससे मेरी अन्तरात्मा को अत्यधिक शान्ति मिली है । यह बात सत्य है कि वीतराग दशा की मूर्ति की उपासना करने से आत्मा का क्रमशः विकास होता है । मैं भी आज से मूर्ति का उपासक हूं और मूर्तिपूजा में मेरी दृढ श्रद्धा है आपको जो कष्ट दिया, तदर्थ क्षमा चाहता हूं ।
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