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________________ चामर नृत्य करने की विधि * प्रभु भक्ति में लीन होकर, प्रभु के सेवक के रूप में प्रसन्नता व्यक्त करने हेतु चामर वींजना एक श्रेष्ठ उपाय है । ऐसा समझकर शरम रखे बिना अवश्य ही चामर नृत्य करना चाहिये । * स्त्रियों को मर्यादा में रहकर नृत्य करना चाहिये । चामर पूजा का दोहा: बे बाजु चामर ढाले, एक आगल वज़ उछाले । जई मेरु धरी उत्संगे, इन्द्र चोसठ मलिया रंगे । अक्षत पूजा की विधि * कंकर, चीटी तथा जीवाणु रहित दोनों तरफ धार वाले उत्तम प्रकार के अखंडित चावलों का उपयोग करना चाहिये । * अक्षत पूजा करते समय इरियावहि शुरु न करें । क्योंकि अक्षत-नैवेद्य एवं फल ये तीनों द्रव्य पूजा है... इरियावहि... चैत्यवंदन आदि भाव-पूजा है । अत: दोनों एक साथ करना अविधि है। * सर्व प्रथम स्वस्तिक, तीन ढगली और बाद में सिद्धशिला इस क्रम बद्ध रीति से पूजा करें । * मन्दिर में से निकलने से पहले अक्षत्, फल, नेवैद्य तथा पाटला योग्य स्थान पर रख देंवे । नैवेद्य पूजा की विधि: * श्रेष्ठ द्रव्य द्वारा घर में बनाई गयी रसोई, मिठाई या खड़ी शक्कर से नैवेद्य पूजा करें । * बाजार की मिठाई, पिपरमेंट, चॉकलेट जैसी अभक्ष्य वस्तुओं का उपयोग नहीं करें । * नैवेद्य स्वस्तिक के उपर चढाइये । प्रश्न: नैवेद्य पूजा क्यों करते हैं? उत्तर: आहार संज्ञा एवं रस लालसा को तोड़ने के लिये प्रभु के सामने मिठाई से भरा आहार का थाल धरकर नैवेद्य पूजा करते हैं। ___ फल पूजा करने की विधि : * उत्तम तथा ऋतु के अनुसार श्रेष्ठ फल चढावें । * श्रीफल को फल के रूप में चढाया जा सकता है। * सड़े, गले, उतरे हुए फल, बोर, जामुन, जामफल (पेरु), सीताफल जैसे तुच्छ फल चढाने लायक नहीं है। * फलों को सिद्ध शिला के ऊपर चढाइये ।
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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