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होली जलाने का पार करने वाले को नरक में अधि में होमले हुए
परमायामी देव...
4. ज्ञान A. होली इज पाप की झोली
होली पर्व अपने जैनों का पर्व नहीं है । अत: अपने समझदार अच्छे बच्चों को होली नहीं | खेलनी चाहिये, फिर भी खेलते हैं तो भयंकर जीवहिंसा का पाप लगता है।
होली में आग जलाने में कई सूक्ष्म जीव मर जाते हैं जिनकी हिंसा का पाप अपने को लगता। है और नरक में वेदना सहन करनी पड़ती है।
धूलेटी में पानी छिडकने, रंग उडाने-रंग डालने में 50 उपवास की आलोचना (दंड) आती है। इस पर से अनुमान लगा दें कि होली जलाने व खेलने में कितना भारी दोष लगता है । गाली गोली जैसा कार्य करती है
गाली देने में भी भयंकर पाप लगता है, अश्लीलभाषणेन हि दुर्गन्धिनी मुखानि भवन्ति पापहेतुत्वात् अर्थात् अश्लील-वासनामय गंदी गालियाँ बोलने से या ऐसी बातें करने से अपना मुख दुर्गंध वाला होता है, क्योंकि उसमें से पाप की प्रेरणा मिलती है, जब कि पवित्र बातों से अपना मुख सुगंधित हो जाता है, क्योंकि उनसे धर्म के लिए प्रेरणा मिलती है, मुँह सुगंधित करने के लिए सुगंधित वस्तु की आवश्यकता पडती है, जब की गाली दुर्गंधमयी वस्तु है तो आप ही कहो कि गाली बोलने से मुख दुर्गंध वाला होगा या सुगंध वाला ?
हितोपदेश में एक सुन्दर बात लिखी हुई है:- गाली देने वाले को गाली देना-इस बात को भले ही न्याय मानते हो, परन्तु मेरी मान्यता है कि गाली सुनकर शांति (धैर्य) रखने वाला व्यक्ति न्यायाधीश (जज) की अपेक्षा से भी अधिक सुंदर रीति से दंड देने वाला होता है, क्योंकि गाली देने वाला उससे अधिक लज्जित होकर पश्चाताप करता है । क्रोध के सामने क्रोध, गाली का उत्तर गाली देने में दोनों ही पक्ष की समान कीमत होती है। दुर्जन अपनी दुर्जनता बताए, तब सज्जन अपनी सज्जनता क्यो नहीं बताए? अत: आप कभी भी गाली आदि अपशब्द न बोलें । शास्त्र में भी वर्णन है कि आप किसी को एक गाली देते हो तो 15 उपवास की आलोचना आती
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