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________________ दीपक द्वारा पूजन की विधि * दीपक को थाली में रखकर दोनों हाथों से घड़ी के कांटों की दिशा की तरह फिराना तथा दीपक पूजा का दुहा बोलना । * स्वयं के घर से दीपक लावें । परमात्मा के दांयी ओर खड़े रहकर दीपक पूजा करना । दीपक को परमात्मा की दाहिनी ओर स्थापित करें । दीपक को कभी भी खुला न रखें । उसे फानस में रखे या छिद्रवाले ढक्कन से ढक दें, जिससे उसके प्रकाश से आकर्षित होकर क्षुद्र जीव जन्तु दीपक की ज्योत में गिरकर मरे नहीं । दर्पण दर्शन की विधि हृदय स्थान पर दर्पण रखकर, उसमें प्रभु के प्रतिबिंब को देखकर मानो कि अपने हृदय में परमात्मा है ऐसी भावना से अपने स्वयं को सिद्धस्वरूपी महसूस करें । दर्पण दर्शन का दोहा : प्रभु दर्शन करवा भणी, दर्पण पूजा विशाल । आत्मा दर्पणथी जुओ, दर्शन होय तत्काल ।। परमात्मा के सन्मुख दर्पण धरते हुए यह विचार करना है कि - हे स्वच्छदर्शन ! जब भी देखता हूँ, तब जैसा हूँ, वैसा दिखायी देता हुँ । प्रभु आप भी एकदम निर्मल व स्वच्छ दर्पण जैसे है । जब मैं आपके सामने देखता हूँ तब मैं भीतर से जैसा हूँ, वैसा दिखता हुँ । आदर्श ! आपको देखने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मेरी आत्मा चारों ओर से कर्म के कीचड़ से गंदी बनी हुई है । हे विमलदर्शन ! कृपा का ऐसा स्रोत बरसाईए कि जिसमें मेरे कर्म का कीचड़ धुल जाय व मेरी आत्मा स्वच्छ बन जाय । प्रभु ! आप इस दर्पण में जैसे दिखते है, वैसे ही सदा मेरे दिल के दर्पण में दिखते रहियेगा । प्रभु आपके आगे दर्पण धरकर मैं अपना दर्प- अभिलाषा भी आपको अर्पण करता हुँ । पंखा पूजा करने की विधि अग्निकोणे एक यौवना रे, रयणमय पंखो हाथ । चलत शिबिका गावती रे, सर्व साहेली साथ || पंखा पूजा का दोहा : हे परमात्मन् ! जब आप सर्वविरति जीवन स्वीकारने के लिये शिबिका में बैठकर वरघोड़े में जा रहे थे, तब आपके इस प्रव्रज्या - दीक्षा की अनुमोदना करती नवयौवना शिबिका में ईशान कोने में बैठकर आपको पंखा डाल रही थी, उस प्रसंग को देखने का या अनुमोदना करने का अवसर तो मुझे नहीं मिला, परंतु आज यह पंखा डालते समय आपकी उस दीक्षा यात्रा की अनुमोदना करते हुए आपसे यह विनंति करता हूँ कि मेरे जीवन में भी दीक्षा का योग प्राप्त हो । सेवक भाव से प्रभुजी को पंखा डालना चाहिये । 20
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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