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D. रात दिन कैसे होते है
इस चित्र को ध्यान से देखिए । बांये ओर अर्धवर्तुलाकार सूर्य है, उसकी किरणें दाँई ओर जिस पर पड रही है वो मटर के दाने बराबर वह पृथ्वी है।
आधुनिक खगोलशास्त्री कहते है कि पृथ्वी का व्यास 12756 किलोमीटर तथा सूर्य का व्यास 13,92,000 कि. मीटर है। इसका यह अर्थ हुआ कि पृथ्वी सूर्य से 110 गुना छोटी है।
अब पृथ्वी का नाप करे किलोमीटर से मिलीमीटर में तथा शेष दो नाप फूट में परिवर्तित करने पर सूर्य लगभग सवा दो फुट तथा पृथ्वी साढे छः मिलीमीटर व्यास के मटर के दाने के बराबर होगी। इसे सूर्य से 246 फुट दूर रखा जाये, तो क्या परिणाम आयेगा ? क्या आप जानते हैं? जरा प्रयोग करके तो देखिये ! मटर के दाने के चारों ओर प्रकाश हो जायेगा।
इसका अर्थ यह हुआ कि अपनी पृथ्वी पर चारों ओर सूर्य का प्रकाश फैला रहेगा। अंधकार का तो नाम न रहेगा। अर्थात् दिन को 12 बजे जो स्थिती होगी, वही पूरे दिन मे होगी।
पृथ्वी विशाल है तथा सूर्य बहुत छोटा है। इस कारण सूर्य जहाँ परिभ्रमण करता है, पृथ्वी के उत ही भाग पर प्रकाश होता है। शेष पृथ्वी पर अंधकार दिखाई देता है। जैसे कि हम छोटी टार्च लेकर रात्री को सड़क पर चलें तो जहाँ जहाँ टार्च का प्रकाश पडे वहाँ उजाला और जहाँ न पडे वहाँ अंधकार दिखाई देता है। ऊपर दिये गये चित्र के निचले भाग के अनुसार जहाँ जहाँ सूर्य का प्रकाश पडता है, वहाँ दिन तथा शेष भाग में रात होती है। हमारा जंबूद्वीप 36,00,00,000 मील का है तथा सूर्य मात्र 2700 मील के विस्तार वाला है तभी प्रातः, दोपहर एवं संध्या आदि हो सकते हैं।
पृथ्वी ग्रह है इस बात को दिमाग से निकाल देना होगा।
पृथ्वी शब्द पृथु धातु के उपर से बना है। संस्कृत में पृथु का अर्थ विशाल होता है। इस कारण जंबूद्वीप तो ग्रहों, नक्षत्रों, तारों, सूर्य, चन्द्र सभी का आधार है। इन सबसे बडा है, अरबो मील विस्तृत है जिसके उपर 2 सूर्य और 2 चन्द्रमा घूम रहे हैं।
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