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दया समो न य धम्मो, अन्नसमं नत्थि उत्तमं दाणं।
सच्चसमा न य कीत्ती, सीलसमो नत्थि सिंगारो॥ अर्थात्
दया के समान कोई उत्तम धर्म नहीं है। अन्न के समान कोई उत्तम दान नहीं है। सत्य के समान कोई उत्तम कीर्ति नहीं है।
और शील के समान कोई उत्तम श्रृंगार नहीं है। ___ यहाँ पर हमें पता चलता है कि, दया के समान कोई उत्तम धर्म नहीं है, तो फिर हम क्यों व्यर्थ में रात्रिभोजन करके यह धर्म गंवायें।
करोति विरतिं धन्यो, यः सदा निशि भोजनात् । सोऽर्द्ध पुरुषायुष्कस्य, स्यादवश्यमुपोषितः ।।
- योगशास्त्र 3/69 __ अर्थात् जो भव्य आत्मा नित्य रात्रिभोजन का त्याग करते हैं, वे हमेशा धन्यवाद के पात्र हैं। रात्रिभोजन के त्यागी को आधी जिंदगी के उपवास का फल मिलता है। कुछ तथ्य :
मच्छर रात्रि में ही क्यों काटते हैं, ऐसा कभी आपने सोचा है ? वजह है - ऊर्जा की कमी।
सूर्य अस्त होने पर अपने शरीर में रही हुई ऊर्जा शक्ति कम हो जाती है। ऊर्जा शक्ति की हानि से रात्रि में भोजन किया हुआ आहार किस तरह शक्तिदायक बनेंगा। ऊर्जा शक्ति कम होने से रात में किया हुआ आहार शरीर को नुकसानकारी होता है।
कोई उत्तम जोहरी जब कीमती हीरा खरीदता है, तब वह हीरे को दिन के प्राकृतिक प्रकाश में अनेक रीति से देखकर ही खरीदता है।
लाख पॉवरवाला बल्ब रहने पर भी कमल विकसित नहीं होता, उसे विकसित करने की ताकत तो सिर्फ सूर्य में ही है।
क्या ईसाई (क्रिश्चियन) लोग भी रात्रिभोजन का त्याग मानते है ?
प्रचलित ब्रेक फास्ट (Break Fast) शब्द से वे लोग भी रात्रि में भोजन का त्याग मानते हैं। Fast का अर्थ है उपवास, उन्हीं के बाइबल में लिखा है कि :
Jesus had fasted for fourty days and nights (जीसस् क्राईस्ट ने 40 दिन और रात के उपवास किये थे।) दिन और रात के उपवास करके यही कहा कि, रात्रिभोजन नहीं करना चाहिए। यदि । रात्रि में उपवास नहीं करोगे तो fast को break (तोड़ना) कैसे करोगे।
(To break the fast is called breakfast) उपवास को तोडना उनका ही नाम breakfast है।
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