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1. तपस्वी
2. तपस्या करने वालों को
3. आज नो दिवस केवो छे
4. आधी रोटी खायेंगे
5. आधी रोटी खायेंगे
6. जब तक सूरज चांद रहेगा
7. दीवो रे दीवो मंगलिक दीवो
8. ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
9. पेप्सी, लेमन, कोकोकॉला 10. एक कचौड़ी, दो समोसा
6. नाद घोष तपस्या संबंधी
: अमर बनों
:
धन्यवाद, धन्यवाद सोना थी पण मोंगो छे जैन धर्म के सिद्धांत अपनायेंगे
तपस्वी के साथ जाऐंगे
तपस्वी का नाम रहेगा तपस्वी हमारा जुग जुग जीओ तपस्वी हमारा सुपर स्टार
तपस्वी का बोलंबाला संसार तेरा क्या भरोसा
7. मेरे गुरू
A. गोचरी का लाभ लेने की विधि
श्रावक धर्म में दान धर्म का अग्रगण्य स्थान है। दान में भी सुपात्र दान सर्वश्रेष्ठ है। सात क्षेत्र में देव (तीर्थंकर) रत्न पात्र है। गणधर सुवर्ण पात्र, गुरू (साधु-साध्वी) रजत पात्र हैं, एवं साधर्मिक को कांस्य पात्र बताया है।
साधु-साध्वी को आहार देने से उनके संयम जीवन में सहायक बना जाता है। उनकी संयम आराधना का हमें लाभ मिलता है। जीवन में धन-धान्य, भोग सामग्री आदि मिलना सरल है। लेकिन महान् पुण्योदय के बिना निःस्पृही ऐसे साधु संतों का समागम होना अति दुर्लभ है। अतः जब गांव में साधु भगवंत बिराजमान हो तब प्रतिदिन बड़े उत्कृष्ट भाव के साथ गोचरी के लिए निमंत्रण देना चाहिए। साथ ही निम्न दोषों को टालने का उपयोग रखना चाहिए।
* गोचरी के समय सीढ़ियां एवं गृहांगन कच्चे पानी से गीली न हो इस बात का उपयोग रखें। * गुरु महाराज को आए हुए देखकर लाईट, पंखा, टी.वी., गैस वगैरह बंद हो तो चालु एवं चालु हो तो बंद नहीं करना चाहिए ।
* गुरू महाराज को आए हुए देखकर कच्चे पानी का लोटा, कच्चे पानी की बाल्टी अथवा लीलोतरी
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