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________________ मुँहपत्ति तथा शरीर की प्रतिलेखना के 50 बोल का सचित्र सरल ज्ञान नोट: भिन्न भिन्न समुदायों में मुहपत्ति पडिलेहण की विधि मे थोडा सा फर्क भी हो सकता है, इसलिये उसे गलत विधि नहीं समझना।। 'नोट: दाएँ : राईट (Right), बाएँ : लेफ्ट (Left) | 2 यथाजात मुद्रा में बैठकर दोनों हाथ दोनों पैरों के बीच रखकर मुँहपत्ति को बाएँ हाथ में स्थापित करें। मुँहपत्ति के बंद किनारी वाला भाग दाहिने हाथ में पकड़कर मुँहपत्ति खोलनी चाहिए। खुली हुई मुँहपत्ति को पकडकर दृष्टि प्रतिलेखना करें, उस समय 'सूत्र' शब्द मन में बोले । मुँहपत्ति को उलटकर 'अर्थ', फिर मुँहपत्ति को उलटकर 'तत्त्व करी सद्दहुँ' बोले। मुँहपत्ति को बाएँ हाथ से झाडते हुए सम्यक्तवमोहनीय, मिश्रमोहनीय, मिथ्यात्वमोहनीय परिहरु बोलें तथा दाहिने हाथ से झाड़ते हुए काम-राग, स्नेह-राग, दृष्टि-राग परिहरु बोलें उसके बाद बाएँ हाथ में मुँहपत्ति की स्थापना कर मुँहपत्ति के बीच के भाग को पकड़कर मुँहपत्ति को मोड़ना चाहिए। मुँहपत्ति के बन्द किनारे वाला भाग मोडकर अंदर से, उस तरह अन्त से मुँहपत्ति के दाहिने हाथ के अंगूठे तथा तर्जनी ऊँगली से पकड़ना चाहिए।
SR No.006119
Book TitleJain Tattva Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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